किस्सा मोहब्बत का
बेशुमार किस्से सुने है मोहब्बत के हमने,
इस में जो पडा उसको दर्द ही फिर मिला।
डूब गए वो आशिक आग के इस दरिया में,
जलकर खाक हो गए अपने महबूब की खातिर।
इस दरिया के पार का किनारा उनको ना मिला,
कुछ ने तोड़ा था दम अपने महबूब की बाहों में।
कुछ तड़पते दम तोड़ गए एक झलक पाने को,
आंखे खुली रखी पर महबूब का दीदार ना हुआ।
बेशुमार किस्से सुने है मोहब्बत के हमने,
इस में जो पड़ा उसको दर्द ही फिर मिला।
आज की मोहब्बत चार दिन की चांदनी है,
तुम नही तो कोई और सही दिल लगाने को।
यह आज का किरदार मोहब्बत के दीवानों का,
यह भी एक दिन एक किस्सा बनकर रह जाएगा।
Author sid
22-Jun-2021 09:00 PM
👍👍👍
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Simarpreet Singh Kang
21-Jun-2021 10:10 AM
🙏🙏🙏शुक्रिया
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Aliya khan
21-Jun-2021 10:09 AM
बेहतरीन
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